अनोखी अकुलाहट सी है इस मन में मेरे चाहता हूं जल्द से उभरना,इस बेबसी से किसी अवसर के दरमियान शायद यह वक्त मुझे अब मंजूरी दे दे लम्हा इतना भी जालिम नहीं कि मुझे मुझसे ही परखने का समय भी इन घड़ियों को ना दे यह सवालों की कशमकश भी देती है मेरे मस्तिष्क में दस्तक हर पल जवाब मैं किससे क्या मांगू? मेरे सवालों को समझने वाला यहां कोई नहीं शायद मैं ही इतना नासमझ हूं और ना कभी इतना भी काबिल बन सका कि खुद की इन इच्छाओं को गहरे मै उतरकर समझ सकूं परख सकूं खुद को हर हालातों में बदल सकूं खुद को हर ख्यालातों मे मैं इतना भी काबिल नहीं Yãsh✍️ #poem #Poetry #Shayari #words #Thoughts #Emotions #poems #innerpain