Nojoto: Largest Storytelling Platform

रिश्ते बचपन के ही अच्छे बड़े होने पर तो मतलब ही रह

रिश्ते बचपन के ही अच्छे
बड़े होने पर तो मतलब ही रह जाता है।
रिश्ते बचपन के ही सच्चे
कोई छल न कोई परपंच 
बस कट्टी बट्टी हो जाता है।
रिश्ते खट्टे मीठे ही अच्छे
कारोबार में तो सब ठगा जाता है।
रिश्ते कड़वे ही अच्छे
मिठास से तो अंग कट जाता है।
रिश्ते बेमाने ही अच्छे 
माने से तो घाव रिस जाता है।

 बेमानी
रिश्ते बचपन के ही अच्छे
बड़े होने पर तो मतलब ही रह जाता है।
रिश्ते बचपन के ही सच्चे
कोई छल न कोई परपंच 
बस कट्टी बट्टी हो जाता है।
रिश्ते खट्टे मीठे ही अच्छे
कारोबार में तो सब ठगा जाता है।
रिश्ते कड़वे ही अच्छे
मिठास से तो अंग कट जाता है।
रिश्ते बेमाने ही अच्छे 
माने से तो घाव रिस जाता है।

 बेमानी