रूख ए रौशन माशूका हिलाल हो गयी। कातिल ए नजर उनकी गर्क ए वदन कर गयी।। लव ए मुस्कान उनकी,दिल निसार हो गया। चेहरा माहताब उनका,मोहब्बत परवान हो गया।। स्वरचित ©रघुराम रूख ए रौशन