हंसी में छिपे खामोशियों को महसूस किया है I मैखाने में बुजुर्गों को भी जवान होते देखा है I हमने इन्शानो को जरुरत के बाद अनजान होते देखा है I क्यों भूल जाते है इंसान अपनी अस्तित्व पैसा आते ही I दुनियां ने बड़े - बड़े राजा महराजा को फ़क़ीर होते देखा है I" ©Ankur Mishra हंसी में छिपे #खामोशियों को महसूस किया है I मैखाने में #बुजुर्गों को भी जवान होते देखा है I हमने #इन्शानो को जरुरत के बाद अनजान होते देखा है I क्यों भूल जाते है इंसान अपनी अस्तित्व पैसा आते ही I दुनियां ने बड़े - बड़े राज #महराजा को #फ़क़ीर होते देखा है I"