चूल्हे से उठता धुआं साथ में महक रोटियों की, वो बचपन का ज़माना, शाम को खेल के आना। वो माँ के हाथ खाना,बड़े ही चाव से खाना , आती है याद आज भी वो सबक रोटियों की।।