"वर्तमान समाज में मित्रता स्थापित करना और उसे निभा पाना हमारे जीवन का एक असफल अध्याय, कारण एकमात्र हमारे आदर्शवाद, अर्जित संस्कार और अपशब्द रहित अभिव्यक्ति। " यह पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय भाषी निजी दर्शन पर आधारित प्रथम रचना (अनुशीर्षक उपलब्ध) # हम विशुद्ध भाषा के प्रयोगकर्ता हमेशा रहे, अतः भाव केन्द्रित ही रहें लेखन त्रुटियाँ संभाव्य हैं। ************************** "अद्यसमाज की नवयुवा मैत्री संरचना व चरित्र, हमारा व्यक्तिगत अलगाव व स्वयं से वार्ता। "------- ========================= जब हाँ में हाँ मिलवायेंगे, हम लड़की ढूढ़ पटायेंगे। बाहर बापू के आड़े में, हम सुट्टा खूब उडा़येंगे।। जब बीयर वोटका विस्की सब, हम लेकर पीयें पियायेंगे। तब तो भउवन के खातिर हम, अब यार इहाँ बन पायेंगे।।..... जब बात-बात में हम गाली, बोलें और जश्न मनायेंगे।