ज़िंदगी से ज़ेबा उम्र की इक जस्त लेकर, हम बाज़ुओं में जुम्बिशें अलमस्त लेकर, हों इस क़दर मशमूम कि जनाज़े में भी हरसूँ, लाज़वाल...ज़ीस्त की ज़िन्दा हो खुशबू! -प्रियंतरा भारती #Ekduniyabunteh #DuniyaKiShayari #writersofnojoto #Writerscommunity