इश्क़ देश धर्म से ताल्लुक नहीं रखता लोग बाँट देते हैं धर्म जाति कबीलों में! जो करते हैं सबसे ज़्यादा मुख़ालफ़त वही लोग गिने जाते हैं सेठ नबीलों में! मोहब्बत अक्लमंदों का काम नहीं है बेकार फ़ालतू की चीज़ है अक़ीलों में! पाकीज़ा इश्क़ की दास्ताँ अब सिमटकर रह गई है काग़ज़ी तपसरा तफ़सीलो में! ख़ैर अब मोहब्बत जिस्मानी हो गई है बैर करा देती है अच्छे अच्छे ख़लिलों में! पाकीज़ा मोहब्बत का दम तो भरते हैं मगर कोई एक संजीदा होता है सैंकड़ों छबीलों में! जब हो जाता है किसी से इश्क़ रूहानी,वो कहाँ क़ैद होता है रिवायतों की फ़सीलों में! भरोसा हो तो हवाओं में चराग जल उठते हैं बूँद तेल में भी लौ जल उठती है कंदीलों में! उसका ख़ुद ख़ुदा रखवाला हो जाता है जिसकी ख़ैरियत की दुआएँ माँगी गई हो नफ़ीलों में! अक़ील-बुद्विमान, नबील-महान, उदार ख़लिल-सच्चा दोस्त,फ़सील-चारदीवारी नफ़ील-एक नमाज़ छबीला-नौजवान कंदील-लालटेन या दीया इश्क़ देश धर्म से ताल्लुक नहीं रखता लोग बाँट देते हैं धर्म जाति कबीलों में!