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वाणी *वाणी एक अमोल है,जो कोई बोले जानी। हिये तराजू

वाणी
*वाणी एक अमोल है,जो कोई बोले जानी।
हिये तराजू तौल के, तब मुख बाहर आनी।*
ये अनमोल मंत्र मेरे नहीं बल्कि हमारे दार्शनिक संतों की है। विडंबना यह है कि हमने इन पंक्तियों का सिर्फ रटा मारा है या फिर दूसरों को समझने के लिए अक्सर प्रयोग किया है।खुद अमल में नहीं लिया। *वाणी* शब्द इतना असरदार होता किअगर ये चाहे तो किसी का सिर कलम करा दे या चाहे तो किसी को हरदिल अजीज बना दे। मान या अपमान वाणी से ही मिलता है।वाणी से ही प्रेम के फूल खिलते हैं तो वाणी से ही नफरत के बीज भी बोए जाते हैं। सुवाणी से बीगड़े हुए काम बन जाते हैं तो कुवाणी बने हुए काम भी बिगाड़ देता है। जीवन में मधुरभाषी होना अति आवश्यक है लेकिन अच्छी सोच और नेक नीयत के साथ। धन से धनवान, बल से बलवान, विद्या से विद्वान तो बना जा सकता है लेकिन एक बड़ा या महान इन्सान तभी बना जाता है जब नीयत साफ हो, सोच पाक हो, वाणी मधुर हो और सबके लिए स्वर्थरहित प्रेम हो। *वाणी* जीवन का अनमोल उपहार है, संभाल कर रखें। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं और सभी को मेरा प्रणाम। 🌹🙏

©नागेंद्र किशोर सिंह
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