कल रात को मेरे मोबाइल पे एक मैसेज आया कान में पुरुष दिवस का नारा गुनगुनाया हमने भी खुद को याद दिलाया फिर बच्चों की अम्मा से फरमाया सुनो, आज हम लोग का दिन है मल्लब हमारा दिन है यानि हमारे टाइप की प्रजाति का इतना सुनते ही प्रवचन चालू हो गया चिकन सा उत्साह सब आलू हो गया कहने लगी.... अभी तो रात है, तुम्हारे दिन में क्या खास बात है दिन भर तोंद फुला के पड़े रहते हो मौका बस मिल जाये महिला दिवस मनाने तैयार खड़े रहते हो चौराहे तक तो तुमको कोई नही जानता है दू ठो आदमी तो तुम्हारी बात नही मानता है जरा सा मौसम बदले तुम छींकने खाँसने लगते हो चाय जरा सी मीठी हो तो शुगर जाँचने लगते हो ओ मेरे प्रियतम प्यारे मर्द आदमी पुरुष भोले भाले तुमसे न संभलेगा ये मर्द के दिन का झमेला मेरे साथ एंजॉय करो गाँव के मंडई मेला कल मार्केट से नई चड्डी बनियान दिलाउंगी तुम्हारी पसंद का रामहलुवा भी खिलाउंगी अभी तो चुप करके तुम सो जाओ महिला दिवस की यादों में खो जाओ और सुनो, ये बत्ती काहे बुझाई है क्या चुपके से खाई मिठाई है जे बीपी की गोली खाओ कोई सुंदर भजन गाओ तुमको ही ज्यादा समझ आई है, ठीक है ठीक है .... तुमको तुम्हारे दिवस की बधाई है मर्द का दिन