गमों के ही हाथों मारा गया हूं। टूटा हूं बस ना संवारा गया हूं।। रहता था मैं शान से जिनके दिल में, उनके भी दिल से निकाला गया हूं।। दिलों की ये हसरत सभी ने पुराई, सभी के ही हाथों उजाड़ा गया हूं।। क़दर मेरी करता भला कौन? कैसे? नज़रों से सबकी उतारा गया हूं।। बाकी है कितना मुझे और जलना, बिना गलतियों के जलाया गया हूं।। फटूंगा किसीदिन मैं बारूद बनकर, कि जितना मै कसके दबाया गया हूं।। सिमटती नहीं उलझनें मेरी चंचल, ऐसी भंवर में फंसाया गया हूं।। ©Chanchal Hriday Pathak #2023Recap