हम सोचे ही थे कि वह मयस्सर हुए हमें, ख़्वाब टूटते समय ना लगा ए-ग़ालिब। ख़्वाबों का खंज़र अंदर तक चुभा, ख़ंजर चुभते हुये , दर्द ना हुआ ए-ग़ालिब । रागिनी झा-एहसास #मयस्सर_अर्थात_प्राप्त हम सोचे ही थे कि वह मयस्सर हुए हमें, ख़्वाब टूटते समय ना लगा ए-ग़ालिब। ख़्वाबों का खंज़र अंदर तक चुभा, ख़ंजर चुभते हुये , दर्द ना हुआ ए-ग़ालिब । रागिनी झा