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Sea water मेरी एक भूल एकतरफ़ा इश्क़ रहा, और उसमें बस

Sea water मेरी एक भूल एकतरफ़ा इश्क़ रहा,
और उसमें बसी यूँ शालीनता..!

जो न करे सिफ़ारिश किसी से,
न स्वीकारे किसी की अधीनता..!

क़ैद करना न चाहे स्वर्णिम पिंजरों में,
ये तो चाहे स्वतंत्र उड़ना और स्वाधीनता..!

ख़ामियों को दूर करे ख़ूबियाँ तलाशे है,
नज़रों की नज़दीकियाँ बारीक़ महीनता..!

लेना कुछ न जाने है देना ही बस सीखा है,
लिखा है भाग्य में जो ख़ुदा क्यों है छीनता..!

सुख का समुन्दर पूरा उड़ेले है,
दुःख की नगरी से दूर करे मलिनता..!

तरह तरह से खुशियों की झड़ी लगाए है,
जैसे हो नई नई विविधता विभिन्नता..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Seawater #ektarfa