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आजकल मिट गये गाँधी तेरे दिये अहिंसा के दाग, अवांछ

आजकल मिट गये  गाँधी तेरे दिये अहिंसा के दाग,
अवांछनीय ध्वनि से बन गए दिये तेरे शान्ति के राग,

न शान्ति,ना वैष्णव,न ही हरिजन का किसी मे वास,
न सत्याग्रह,न ही मानव में रहा मानवता का आवास,

मिट गई संस्कृति जिसमे पूर्वजों का सम्मान होता था,
न रहा कोई  गुणिन जिसका मान अभिमान होता था,

भुगतभोगी है सब विदेशी वस्तु व सेवा के अत्याचार के,
फिर भी समझ नही रहे मिटा रहे स्वदेशी स्व व्यवहार से,

मान भी जाओ समझ भी जाओ गाँधी,शास्त्री के ज्ञान को,
न मिटाओ संस्कृति,अपने से बड़ो के प्रति आदर सम्मान को। 🌹नमस्ते लेखकों🙏🏼

🌸कोलैब करने से पहले 📌पिन पोस्ट अवश्य पढ़ लें।

🌸 आप सभी दिए गए विषय पर 6 - 8 पंक्तियों में अपनी रचना पूरी करें।

🌸पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूलें।
आजकल मिट गये  गाँधी तेरे दिये अहिंसा के दाग,
अवांछनीय ध्वनि से बन गए दिये तेरे शान्ति के राग,

न शान्ति,ना वैष्णव,न ही हरिजन का किसी मे वास,
न सत्याग्रह,न ही मानव में रहा मानवता का आवास,

मिट गई संस्कृति जिसमे पूर्वजों का सम्मान होता था,
न रहा कोई  गुणिन जिसका मान अभिमान होता था,

भुगतभोगी है सब विदेशी वस्तु व सेवा के अत्याचार के,
फिर भी समझ नही रहे मिटा रहे स्वदेशी स्व व्यवहार से,

मान भी जाओ समझ भी जाओ गाँधी,शास्त्री के ज्ञान को,
न मिटाओ संस्कृति,अपने से बड़ो के प्रति आदर सम्मान को। 🌹नमस्ते लेखकों🙏🏼

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