इऋ सी महक उसकी,महताब सा गुरूर चेहरा है आईना, निगाहों का हमें सुरूर है सारी महफ़िल तलाशी हमने हज़ारों बार, आसमां से ज़मीं तलाशी हमने हज़ारों बार, पर सारे जहां में ना हमसा कोई दीवाना और ना ही उस जैसा नूर और हुज़ूर है।।