जब मन अनमना हो भूख उदास हो चले कहती थी, "खाओगी! पकौड़ियाँ तले..." उत्तर की प्रतीक्षा के बिना उतार लाती थी गर्मागर्म पकौड़ियाँ और अब जब-जब मन शिथिल होने लगता है पड़ जाता है ठंडा घंटों के अवगुंठन और ठिठुरन से जब जी नहीं उबरता तरसती है रसोईं तुम्हारी आवाज़ को तुम्हारे स्पर्श की गर्माहट महसूसने को तल लाती हूँ फिर ये पकौड़ियाँ #toyou#onceagain#yqmemories#heart#youandme#loveumummy