आंखों में अंशुओ का निशान दिखे कुछ लोग लाचार बेबस बेजान दिखे कबतक भटकता फिरूँ में इस वीरान सी जगह में मुझे भी कोई सहर कोई घर कोई मकान दिखे फिर एकदिन उन्होंने अकेले में आईना ले जाकर खुदको निहारा बुजुर्गों को उसदिन अपने चेहरे जवान दिखे हमीं से थी सबको उमीद हमीं पर सबकी जिमेदारी थी हमीं को करना था सबको खुस और हमीं ही सबसे ज्यादा परेशान दिखे ©Malaya Ranjan Samal Ham Hi Sabse Jyada Parishan Dekhe #parent