खखार घुटक रहा हूं तो गले के नीचे गरल जा रहा है और पहुंच जाता है कूपिकाएं तक . . . . . कूपिकाएं कहती है सांवली हो गई हैं हम खखार घुटक रहा हूं तो गले के नीचे गरल जा रहा है और पहुंच जाता है कूपिकाएं तक