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सृष्टि के मापदंड ये जाति है की जाती नही, युगों से

सृष्टि के मापदंड

ये जाति है की जाती नही,
युगों से यह बलखाती नही,
देव दैत्य का अंतर यथावत्,
बात क्यों समझ आती नही।

भैंस कभी चमचमाती नही,
चिंटी हाथी कहलाती नही,
जमीं आसमां अंतर विधिवत्,
गधों को रोटी भाती नही। 

बिन ऋतु कोयल गाती नही,
बिन सूरज भोर आती नही,
कायनात का अंतर यथावत् ,
उल्लू को किरणें सुहाती नही।

नदियाँ मिज़ाज दिखाती नही,
मछलियाँ सागर सुखाती नही,
सृष्टि के मापदंड करों स्वीकृत,
कुदृष्टियाँ सृष्टि रचाती नही।

कवि आनंद दाधीच । भारत ।

©Anand Dadhich #castecensus #Jaati #Politics #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2023 #poetsofindia
सृष्टि के मापदंड

ये जाति है की जाती नही,
युगों से यह बलखाती नही,
देव दैत्य का अंतर यथावत्,
बात क्यों समझ आती नही।

भैंस कभी चमचमाती नही,
चिंटी हाथी कहलाती नही,
जमीं आसमां अंतर विधिवत्,
गधों को रोटी भाती नही। 

बिन ऋतु कोयल गाती नही,
बिन सूरज भोर आती नही,
कायनात का अंतर यथावत् ,
उल्लू को किरणें सुहाती नही।

नदियाँ मिज़ाज दिखाती नही,
मछलियाँ सागर सुखाती नही,
सृष्टि के मापदंड करों स्वीकृत,
कुदृष्टियाँ सृष्टि रचाती नही।

कवि आनंद दाधीच । भारत ।

©Anand Dadhich #castecensus #Jaati #Politics #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2023 #poetsofindia