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इंसान ही इंसान का दुश्मन बन रहा था, दंगों की आग मे

इंसान ही इंसान का दुश्मन बन रहा था,
दंगों की आग में शहर जल रहा था।
जल रही थी इंसानियत हर तरफ,
बैर का दानव यह देख हंस रहा था।
धर्म और कौम के नाम पर देखो तो जरा,
सियासतदारों ने यह कैसा खेल खेला था।
सेंक रहे थे अपनी सियासत की रोटी,
इंसान खिलौना बन मिट्टी में मिल रहा था।
इंसान ही इंसान का दुश्मन बन रहा था,
दंगों की आग में शहर जल रहा था।

©Anu #दंगो #आग #anu #दंगो_की_आग #सियासत #राजनीति #दुश्मन
इंसान ही इंसान का दुश्मन बन रहा था,
दंगों की आग में शहर जल रहा था।
जल रही थी इंसानियत हर तरफ,
बैर का दानव यह देख हंस रहा था।
धर्म और कौम के नाम पर देखो तो जरा,
सियासतदारों ने यह कैसा खेल खेला था।
सेंक रहे थे अपनी सियासत की रोटी,
इंसान खिलौना बन मिट्टी में मिल रहा था।
इंसान ही इंसान का दुश्मन बन रहा था,
दंगों की आग में शहर जल रहा था।

©Anu #दंगो #आग #anu #दंगो_की_आग #सियासत #राजनीति #दुश्मन
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