फटे हाल खाली हाथ, निर्धन किसान जन। भैसियों के आगे सब, बजा रहे बीन हैं।। चैन की नींद सोएं, महलों में नेता सारे। सड़क में किसान ये, रोएं बन दीन हैं।। ग़रीबी में आटा गीला, कोरोना ने जेब ढीला। किया सरकारों ने भी, और धन हीन हैं।। शौक बहुत है इन्हें, तितर लड़ाने का। मनुष्य लड़ाने में भी, बहुत शौकीन हैं।। 🎀 मुहावरे वाली रचना #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 मुहावरे अथवा लोकोक्ति का प्रयोग करते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 सबसे अच्छी रचना को कोरा काग़ज़ समूह की प्रोफाइल पर फीचर किया जाएगा। 🎀 अपनी रचना लिखने के बाद आपको प्रयोग किया हुआ मुहावरा अथवा लोकोक्ति को इस पोस्ट पर काॅमेंट करना है।