लेख
"गाँव आज भी हकिगत से दूर है"
एक साल पहले हमारे गाँव में स्वच्छता अभियान चला था।सबसे पहले बहार की कोई टीम आई थी स्वच्छता की जानकारी देने।उसके कुछ समय बाद ही स्वच्छता के लिए बाहर से निगरानी समिति बनी थी व रोज निगरानी करती थी।कोई भी बहार शौच नही करे इस के लिए निगरानी समिति रोज सुबह जल्दी आ जाती थी।कुछ स्कुल के बच्चे भी इस अभियान से जुड़े और वो भी सुबह जल्दी उठ के सिटी बजाते थे।कुछ समय बाद ही गाँव के सुधार होने लगा था।गाँव में भी सभी के शौचालय बन गये थे।सब उपयोग भी लेने लगे थे।गांव खुले में शौच मुक्त हो गया था। हमारे गाँव में एक बड़ा प्रोग्राम हुआ था ।गाँव में गौरव यात्रा निकली गाँव कलेक्टर व विधायक के द्वारा सम्मानित हुआ ।जो भी इस काम में लगे रहे वो सब सम्मनित हुये।क्यों की पूरा गाँव उस समय गौरव प्राप्त कर रहा था।गाँव का ODRF भी हो गया था।
लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है।जो पहले थी वो ही वापस है।न कोई गाँव को देखने आता है और न कोई अपनी जिम्मेदारी समझता है।लेकिन इंसान ही अपनी जिम्मेदारी को भूल रहा है वो जानता की बाहर शौच करने से बीमारी बड़ेगी फिर भी वो ये गलती कर रहा है।क्यों की हो बाहर शौच करने का आदि है पर अपनी आदत नही बदल रहा था।
इंसान को खुद का सुधार खुद को ही करना होगा।
मोहित जागेटिया