#OpenPoetry तू मुझसे फासले बड़ा ले ये गवारा नहीं मुझे. मैं खुद तुझसे दूर जाकर देखूँ क्या,, पता नहीं क्यों वीरान सा लगता है ये कमरा मेरा, तेरी एक तस्वीर लगाकर देखूँ क्या,, हा पागल हो गया हुँ मोहब्बत में तेरे, हकीमों से इलाज करवाकर देखूँ क्या,, बाकि जो भी बचे है दिन है अब जिंदगी के, उन्हें सिर्फ तेरे नाम लिखवाकर देखूँ क्या,, जिस दिन थक जाऊ इस एकतरफा इश्क़ से,, फिर दुनिया से अपना वजूद मिटाकर देखूँ क्या,, #OpenPoetry (part -2)- check out my profile for part one 🙂