तेरा दूर जाना मुझे तन्हा कर गया मुझे तेरा मना करना रुशवा कर गया कभी हाले दिल पर हंसी आती थी तुझसे बिछड़ना तेरा सिकायत कर गया ख्वाबों में कभी कभी मिलते थे हम दोनों तेरा जबसे दीदार हुआ है बोझल कर गया रुठ कर जाना और सिकायत ना करना इश्क अब भी है मगर इनकार कर गया बातें बहुत सारी होती रहती थी अक्सर आरिफ क्या बात है जो वो मना कर गया तेरा दूर जाना मुझे तन्हा कर गया मुझे तेरा मना करना रुशवा कर गया कभी हाले दिल पर हंसी आती थी तुझसे बिछड़ना तेरा सिकायत कर गया ख्वाबों में कभी कभी मिलते थे हम दोनों तेरा जबसे दीदार हुआ है बोझल कर गया