अंधभक्ति के नहीं प्रचारक बाबा साहेब के बोते बीज । ज्योतिबा फुले का जल चढ़ाकर महात्मा बुद्ध का मिले खनिज । दिव्य अंकुरण सावित्री बाई का लवण बटोरे बहुत लजीज । गुरु रविदास समाज सुधारक खंडित करें त्योहार व तीज । पर्ण फूटे जब बिरसा मुंडा ताजा करें पुराने बीज । लेखनी रूपी नल का पानी अंबेडकर का मिले खनिज । . ©Ajay Tanwar Mehrana #सम्यक #कविता