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मै सफर की क्या परवाह करूँ? जब दिल ये मंज़िल से लगा

मै सफर की क्या परवाह करूँ? 
जब दिल ये मंज़िल से लगा बैठी हूँ।
एक उलझन को क्या लेके बैठू ,, मै तो सुलझे हुए को उलझाये बैठी हूँ।
"Writer Sangam" #Uljhane
मै सफर की क्या परवाह करूँ? 
जब दिल ये मंज़िल से लगा बैठी हूँ।
एक उलझन को क्या लेके बैठू ,, मै तो सुलझे हुए को उलझाये बैठी हूँ।
"Writer Sangam" #Uljhane