मै सफर की क्या परवाह करूँ? जब दिल ये मंज़िल से लगा बैठी हूँ। एक उलझन को क्या लेके बैठू ,, मै तो सुलझे हुए को उलझाये बैठी हूँ। "Writer Sangam" #Uljhane