****जीवन की दुविधा **** ज़िन्दगी कश्मकश के दो राहे पर आ खड़ी है एक तरफ हैं दुख के कांटे,दूजी ओर मौत पडी है । दुनियां के सारे गम को मौत ले डूबेगी, डर ये है कि जमाना कायर कह उठेगी।,पर सोचता हूँ ज़िन्दगी के आगे मौत तो खड़ी है। ज़िन्दगी कश्मकश के दो राहे पर आ खड़ी है ...... ज़िन्दगी गर चूने तो, गुजरे जमाने की यादें ,वो आँसू से भीगी आंहे ,कांटों से भरी राहें, खंजर चूभो रही है। ज़िन्दगी कश्मकश के दो राहे पर आ खड़ी है .............. ऐ खुदा तू ही बता, ऐसे में क्या करे हम, ज़िन्दगी और मौत में किसको चुने हम, दोराहे पर आ खड़े हैं अब फैसले की घड़ी है। ज़िन्दगी कश्मकश के दो राहे पर आ खड़ी है ............. ****कुमार मनोज (नवीन) **** #jeewan ki Duvida#manoj