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जनम-जनम तक जो ना टूटे इक ऐसा बंधन बंध जाओ, मैं बा

 जनम-जनम तक जो ना टूटे इक ऐसा बंधन बंध जाओ,
मैं बादल बन जाऊं गगन में, तुम उसकी बूंदें बन जाओ,
जब-जब सांसे लूं मैं, हर सांस में तेरी याद आए,
पतझड़ में भी जैसे तब-तब, बहारों की सौगात आए,
मैं हसीं ख़्वाब बन जाऊं तुम्हारा, तुम मेरी नींदें बन जाओ।।

©रोहित
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