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बिकाऊ मीडिया से निजात दिलाई सोशल मीडिया ने, यूट्यू

बिकाऊ मीडिया से निजात दिलाई सोशल मीडिया ने,
यूट्यूब पे खबरी चैनलों की बाढ़ सी आई सोशल मीडिया में !
यहां भी लालच और गुमराही ने पसार लिये हैं पैर,
भ्रामकता भरे बेमेल शीर्षकों से साख गंवाई इस मीडिया ने !!

दो तीन मिनट की खबर को आठ दस मिनट तक खींचते,
दर्शकों का समय अमूल्य है, इस सच्चाई से आंखे मींचते !
सब कुछ मिलता जीवन में, पर उम्र बढ़ाकर नहीं मिलती,
दर्शकों से रक़म जुटाने के आह्वान भी, बारंबार दीखते !!

माना कि सच से भी इनका है कुछ न कुछ सरोकार,
पर ये भी सच है कि विज्ञापन पे टिका है ये भी कारोबार !
विज्ञापन देखो, समय की आहुतियां दो और पैसे भी दो,
भ्रामक शीर्षक से हो जाता, विश्वसनियता का बंटाधार !!

दर्शकों की भावनाओं से खेलने का शौक़ पाला पत्रकारों ने,
जनचाहा हास्य परोस शौहरत शौक़ पाल लिया कलमकारों ने !
समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है सरस्वती पुत्रों की,
जिम्मेदारी से, डर या लोभवश, मुँह मोड़ा कलम कर्णधारों ने !!

ज्यादा लाड़ प्यार से पले बच्चे, अक्सर बच्चे बिगड़ जाते हैं,
बचपन में तो अच्छा लगता, बड़े होने पे बस में नहीं आते हैं !
लेखक कवि पत्रकार भी आज सत्ता या जन चाही बात बताते,
समाज को दिशाहीन बना, उल्लू साधने से बाज नहीं आते हैं !!

- आवेश हिंदुस्तानी 27.11.2023

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Media 
#SocialMedia 
#poem 
#writers 
#Journalist
बिकाऊ मीडिया से निजात दिलाई सोशल मीडिया ने,
यूट्यूब पे खबरी चैनलों की बाढ़ सी आई सोशल मीडिया में !
यहां भी लालच और गुमराही ने पसार लिये हैं पैर,
भ्रामकता भरे बेमेल शीर्षकों से साख गंवाई इस मीडिया ने !!

दो तीन मिनट की खबर को आठ दस मिनट तक खींचते,
दर्शकों का समय अमूल्य है, इस सच्चाई से आंखे मींचते !
सब कुछ मिलता जीवन में, पर उम्र बढ़ाकर नहीं मिलती,
दर्शकों से रक़म जुटाने के आह्वान भी, बारंबार दीखते !!

माना कि सच से भी इनका है कुछ न कुछ सरोकार,
पर ये भी सच है कि विज्ञापन पे टिका है ये भी कारोबार !
विज्ञापन देखो, समय की आहुतियां दो और पैसे भी दो,
भ्रामक शीर्षक से हो जाता, विश्वसनियता का बंटाधार !!

दर्शकों की भावनाओं से खेलने का शौक़ पाला पत्रकारों ने,
जनचाहा हास्य परोस शौहरत शौक़ पाल लिया कलमकारों ने !
समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है सरस्वती पुत्रों की,
जिम्मेदारी से, डर या लोभवश, मुँह मोड़ा कलम कर्णधारों ने !!

ज्यादा लाड़ प्यार से पले बच्चे, अक्सर बच्चे बिगड़ जाते हैं,
बचपन में तो अच्छा लगता, बड़े होने पे बस में नहीं आते हैं !
लेखक कवि पत्रकार भी आज सत्ता या जन चाही बात बताते,
समाज को दिशाहीन बना, उल्लू साधने से बाज नहीं आते हैं !!

- आवेश हिंदुस्तानी 27.11.2023

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Media 
#SocialMedia 
#poem 
#writers 
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