जज्बातों का उमड़ता सैलाब भावनाओं का करता आविर्भाव है, प्रकट करे अन्तरात्मा को,यही वस्तविता से सत्यार्थ लगाव है, रह रह कर यह मेरी अंतश्चेतना को झकझोर कर रख देता है, हो बर्बस ही करती प्रकटीकरण न हो पाता इनसे अलगाव है Open for collab Time limit -aj rat 12 baje tak Line limit- 4 line Vijeta ko uphar me testimonial diye jayenge #apk_lekhani #collabwith_apk #YourQuoteAndMine Collaborating with Apki Lekhani