White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे , के मैं तुमसे नफरत क्यू कर ना पाया । तुम घंटों खड़ी देखती रही मुझे , मैं इज़हार ए मोहब्बत क्यू कर ना पाया। अब कहता हूं तो तुम सुनती नहीं हो , जब सुनती थी तो क्यू कह ना पाया। इतनी भी क्या जिद्द थी आवारगी की , के अपने ही काबू में क्यू रह न पाया । आगाज़ से ही निभाया इस मरियल ताल्लुक को , किसी और मर्ज से अपने घाव , क्यू भर न पाया। सालों बसर किए सहरा में तन्हा यूं ही , इतनी तिश्नगी के बाद भी क्यू मर न पाया। ©luv_ki_lines #Sad_Status love poetry for her urdu poetry sad urdu poetry hindi poetry deep poetry in urdu