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शीर्षक -वह कलिका नहीं कटारी थी खुद के प्राणों से

शीर्षक -वह कलिका नहीं कटारी थी

खुद के प्राणों से भी ज्यादा
झाँसी जिसको प्यारी थी
अदम्य साहस से भरी हुई 
वह कलिका नहीं कटारी थी |

अंग्रेजो को धूल चटाने की
उसने मन में ठानी थी
सच्ची वीरांगना थी वह तो
वीरों में वह मर्दानी थी ||

बचपन से ही निडर,सिंहनी
वह अपने मन की रानी थी
मातृभूमि के प्रति प्रेम था सच्चा
वह सबसे बड़ी बलिदानी थी ||
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में
समर्पित मेरी यह कविता
©स्मृति...✍️(18-6-21)

©स्मृति.... Monika #झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर
शीर्षक -वह कलिका नहीं कटारी थी

खुद के प्राणों से भी ज्यादा
झाँसी जिसको प्यारी थी
अदम्य साहस से भरी हुई 
वह कलिका नहीं कटारी थी |

अंग्रेजो को धूल चटाने की
उसने मन में ठानी थी
सच्ची वीरांगना थी वह तो
वीरों में वह मर्दानी थी ||

बचपन से ही निडर,सिंहनी
वह अपने मन की रानी थी
मातृभूमि के प्रति प्रेम था सच्चा
वह सबसे बड़ी बलिदानी थी ||
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में
समर्पित मेरी यह कविता
©स्मृति...✍️(18-6-21)

©स्मृति.... Monika #झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर