एक सी धूप की तो आदत-सी हो गई है, हल्की छांव की नवाज़िश, मुकर जाने के बाद,, सब़र तोड़ देती है, राह में आई हरी बगिया, महसूस होती है ताबिश, गुज़र जाने के बाद,, ✒️✒️ ©Nishank Pandey # नवाज़िश