सितारा उछल कर गिरते है वे, फिर भी चमकते है सितारे, चांदनी बिखर जाते है जब जगमगाते है सितारे ll जिसके सामने सूरज भी फीका हो वो है, चांद के किनारे, आशाओं मे डूब जाते है हम, जब दिखते हैं सितारे ll बहुत कुछ मांग लेते हैं जब टूटते हैं सितारे हमारे मन को लुभा देती है कुछ ऐसे ही नजारे, जो दिखते है चांद के किनारे ll हम अपनी मंजिले भी भूल जाते है,जब होते है, इसके द्वारे क्या कहें इसके बारे मे नहीं मिलते शब्द सुनहरे, नदी के पानी मे दिखते है जिसके सितारे ll जब चाँदनी रात मे चलती है हवा के फुहारें, बहुत अच्छी लगती है वो सितारे ll नहीं मिलते शब्द तुम्हारे लिये लिखने को, इसीलिए तो कहता हूं वो सितारे तुम हो बड़े निराले ll Sun writer 15-12-19 ©Durgesh Kumar This poem is for a precious one " सितारे "