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THE EXISTENCE मन तो बहुत अशांत है, पर शांत-सी वो

THE EXISTENCE


मन तो बहुत अशांत है, पर शांत-सी वो हो गई| 
फैली जहां में आग है, है आग की चिंगारी वो|
बुझा रहे चिंगारी को सब, नहीं आग पे किसी कीनजर| 
बहला दिया फुसला दिया, चिल्ला कर उसे दबा दिया| 
कुछ भी कहा कुछ भी किया, सब ने उसे सजा दिया| 
क्यों बोलती कुछ भी है वो,जब सुन नहीं कोई रहा| 
मिली सांत्वना हर मोड़ पर,सम्मान से वंचित रही| 
दिखी कमियां सबको मगर,न समझा न सराहा उसे| 
न उम्मीद रही न अस्तित्व वहां, जिस बाग को समझा जहां|
 थी फूल वो जिस डाल की, अब पेड़ भी वो न रहा| 
क्यों बिखेरते हो अब उसे, अवशेष भर अब वो रह गई|
मन तो बहुत अशांत है, पर शांत-सी वो हो गई!! # मन तो बहुत अशांत है पर शांत-सी वो गई
THE EXISTENCE


मन तो बहुत अशांत है, पर शांत-सी वो हो गई| 
फैली जहां में आग है, है आग की चिंगारी वो|
बुझा रहे चिंगारी को सब, नहीं आग पे किसी कीनजर| 
बहला दिया फुसला दिया, चिल्ला कर उसे दबा दिया| 
कुछ भी कहा कुछ भी किया, सब ने उसे सजा दिया| 
क्यों बोलती कुछ भी है वो,जब सुन नहीं कोई रहा| 
मिली सांत्वना हर मोड़ पर,सम्मान से वंचित रही| 
दिखी कमियां सबको मगर,न समझा न सराहा उसे| 
न उम्मीद रही न अस्तित्व वहां, जिस बाग को समझा जहां|
 थी फूल वो जिस डाल की, अब पेड़ भी वो न रहा| 
क्यों बिखेरते हो अब उसे, अवशेष भर अब वो रह गई|
मन तो बहुत अशांत है, पर शांत-सी वो हो गई!! # मन तो बहुत अशांत है पर शांत-सी वो गई
artiraghav9071

Arti Raghav

New Creator