ये दिल रो रहा है कि तु फिर आवाज ना कर मोहब्बत का ये दस्तूर है कि मोहब्बत बस एक बार तो कर मिलेगा दर्द तो तु फिर खुद को गुमनाम ना कर डर कर नहीं हिम्मत से तु खुदके हक के लिए लड बेवफ़ाई करने वाले इन्सान से एक इन्साफ तो कर भले वो होगे पत्थर दिल पर तुम तो फुल सा मुरझाना कभी मत अपने जख्मो कि दवा ताकत है तु बलवान तो बन प्यार इंसान की जरुरत है खुद से ही मोहब्बत तु बार-बार तो कर अपनों का साथ मिल जाये बस इतनी कि तु गुजारीश तो कर जिन्होने दुखाये है हमारे दिल उन्हे के भी दुखागे दिल एक दिन पर तु खुदसे नफरत तो ना कर इतनी सी गुजारिश है फिर तु आवाज ना कर..! ये दिल रो रहा है कि तु फिर आवाज ना कर मोहब्बत का ये दस्तूर है कि मोहब्बत बस एक बार तो कर मिलेगा दर्द तो तु फिर खुद को गुमनाम ना कर डर कर नहीं हिम्मत से