अंधेरो से ख़ौफ़ तो हमे भी है, मगर आराम को इंतजार है कि रात हो जाये। बादलों का साया तपिश से आराम तो देता है, मगर ज़रूरत-ए-इंसान है कि बरसात हो जाये ।। मुमकिन है कि जमाने में मैं शह भी ना दूं, बस आखों ही आखों में मात हो जाए । किस्से तो सुने है छत से इशारों के आने जाने से, मजा हो, गर छत पर भी ये बात हो जाए ।। #yqbaba #yqsayri #mood #khwaish #ishq