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मैं भटकता बंजारा हूँ तू धूप में शामियाना है मिल

मैं भटकता बंजारा हूँ

तू धूप में शामियाना है 

मिलता है जहा  सूकून

तू वहीं जन्नत का आशियाना है ।। बंजारा
मैं भटकता बंजारा हूँ

तू धूप में शामियाना है 

मिलता है जहा  सूकून

तू वहीं जन्नत का आशियाना है ।। बंजारा