उदास तू उदास मै ये रात भी उदास बरस रही है बूंद भी,पर बुझती नहीं प्यास पुकारता है मन सनम तू आ जा मेरे पास धड़क रहा है दिल अभी, न छूटती है आस मिलन की है गुजारिशे,उफ्फ कैसी है ये बरिशे जिस्म-ओ-जान होठ तक सब कर रहें सिफारिशें बादलों के मेल से बरस रहीं हैं बूंद ये तड़प तड़प विरह की रात दिखा रही हैं ख्वाहिशें बादलों में छिप गया है चाद भी अभी अभी बढ़ चली है प्यास थी जो अब तलक दबी दबी आसमां की बूंद बुझा रही जमी की प्यास उदास तू उदास मै एं रात भी उदास जैसे मिल न पाएगा कभी जमी से पर ये आसमां वैसे हम जल रहे विरह ऐसी आस मा याद तेरी आ गई पर है तेरी तलाश उदास तू उदास मै एं रात भी उदास बरस रही है बूंद भी पर बुझती नहीं प्यास विनय शुक्ला कल्पना###@विनय शुक्ला