निकली है यादों की रेल। कुछ भूल भटके लोग, कुछ धुंधली सौगातें, कुछ अनकही बातें, कुछ बेमतलब के वादे, कुछ किस्से भी पुराने, कुछ कच्चे से रिश्ते, कुछ पक्की सी दोस्ती, कुछ पक्के से दोस्त, और एक डिब्बा अलग मेरी चाहतों और इच्छाओं का, जिनको शायद दबा दिया था सीट के नीचे, आज विशाल रूप लेकर फिर सामने खड़ी है। चुन चुन कर अब एक बक्से में बन्द कर दिया है फिर से, लेकिन अब की बार रख लिया है वर्तमान की रेल में, अब यह साथ सफ़र पर जाएंगी, मंज़िल की तलाश में।। बारंबार गुज़रना होता है अतीत की सुरंग से। #सुरंग #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqmemories