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#2YearsOf बघेली कविता अस गुस्सा लागत ही ज | Go

#2YearsOfNojoto बघेली कविता 


अस गुस्सा लागत ही जब
मेहेरिए गुलती हैं मोबाइल।

भूंख के मारे जिउ छटपटाए
त‌ऊ घिनही नहीं छोड़ती है मोबाइल।

जबहिन देख‌ए तबहिन
उआ मोबाइल म बिजी रह‌ए।

खाना के नाम म आंखी काढंय
धव क‌उने बात से चिढी रह‌ए।

अपना खाए खाए के मोटान रह‌ए
अ हमरे पीछे पड़ी रहय।

सलगा दिन लय राशन पानी
हमरे ऊपर चढ़ीं रहय।

फरमांइस  खातिर जानय हमहीं
होइगा फेर बिहान।

महेरिअन से भगवानव हांरे
इआ जानय सारा जहान।

       ( राइटर सूरज दुबे  ) हास्य कलाकार
#2YearsOfNojoto बघेली कविता 


अस गुस्सा लागत ही जब
मेहेरिए गुलती हैं मोबाइल।

भूंख के मारे जिउ छटपटाए
त‌ऊ घिनही नहीं छोड़ती है मोबाइल।

जबहिन देख‌ए तबहिन
उआ मोबाइल म बिजी रह‌ए।

खाना के नाम म आंखी काढंय
धव क‌उने बात से चिढी रह‌ए।

अपना खाए खाए के मोटान रह‌ए
अ हमरे पीछे पड़ी रहय।

सलगा दिन लय राशन पानी
हमरे ऊपर चढ़ीं रहय।

फरमांइस  खातिर जानय हमहीं
होइगा फेर बिहान।

महेरिअन से भगवानव हांरे
इआ जानय सारा जहान।

       ( राइटर सूरज दुबे  ) हास्य कलाकार
surajdubey7797

suraj dubey

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