*#नफ़रतें* नफ़रतें बिक रहीं चारों तरफ़ मैं प्रेम का बाज़ार सजाऊंगा, तुम हिंदू-मुस्लिम कर लेना मैं पाठ मानवता का पढ़ाऊंगा । ये घड़ियाली आंसू बार-बार जो आंखों पर तुम लाते हो, किसकी संवेदना छूने की खातिर साहब ! इतना तुम गिर जाते हो !! हर तरफ़ है त्राहि-त्राहि तुम फिर भी बाज़ नहीं आते हो, स्वार्थलोलुपता के मद में तुम जाने कितना आगे बढ़ जाते हो ! बात बात पर अभिनय करके तुम अभिनेता ही तो कहलाओगे, अफ़सोस ! तुमसे यह उम्मीद न थी कि इतना गैर जिम्मेदार भी बन जाओगे ! ज़हर बिक रहा चारों तरफ़ मैं फिर भी अमृतपान करवाऊंगा तुम हिंदू-मुस्लिम कर लेना मैं पाठ मानवता का पढ़ाऊंगा । _सावन (सर्वाधिकार सुरक्षित) ©T.C.Sawan #Rose love u jindgy Sangeeta Yadav Rekha Gakhar Neeraj Anshu writer