Vishnu Bhagwan सवैया छंद मन,मीत भयो जब श्याम मेरो कोई और बसे न मेरे मन माही। पट पीत सजे, गिरिधारी के,मोहिनी मूरत छवि बिसरत नाही। मुरली अधरन-मुरलीधर के,बिन धुन-सुन जी लागत नाही। नाच नचावे नंदलाल मोहे, मैं नाचूं और मोहे कछु सूझत नाही। ©Dr Nutan Sharma Naval #vishnubhagwan #sawaiya chhabd