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कुछ ख्याल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में, ख्याल य

कुछ ख्याल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में,
ख्याल ये है की भूल जाऊ सब कुछ, और चल परू भीड़ में तहना।
पर सवाल ये है, क्या तहना चल पाऊंगा मै इस भीड़ में?

ख्याल ये है की रहने देते है ना यार, बहुत हुआ कसी की यादों में जीना।
पर सवाल ये है, क्या बिना कसी के यादों के साथ भी जिया जा सकता है?

ख्याल ये है की लोग तो आते- जाते रहते है जिंदगी में, कुछ साथ रह जाते है और कुछ साथ छोड़ जाते है।
पर सवाल ये है, जो लोग साथ छोड़ जाते है, क्या उनकी यादों में मै हूं?

ख्याल ये है की उन तस्वीरों को भी मिटा दू जिंदगी से, जिन्हें देख कर मुझे फिर से कसी की यादों में डूबना परे।
पर सवाल ये है, क्या उन तस्वीरों में कुछ भी सच्चाई नहीं थी, जो मिटा दू उसे?

ख्याल ये है की तनहा इस सफ़र में, फीर कहीं कसी से मुलाक़ात होगी....फिर बना लेंगे यादों का कारवां....फिर सज़ा लेंगे जिंदगी को पहले की तरह।
पर सवाल ये है, जिन यादों को मैंने तब बनाया था, जिसे देख कर घंटो खुश हुआ करता था मन ही मन में, जिनके बस सोचने से आंखो में अजीब सी चमक और होठों पर मुसकुराहट सी आ जती थी, कैसे छोड़ दू उन यादों को?

कैसे मिटा दू उन तस्वीरों को जो कहीं न कहीं दिल के एक कोने में कुछ अच्छी यादों वाली साइड पर है?
जिन्हें बनाने में उसने भी तो उतना ही साथ दिया था, जितना कि मैंने।

कैसे भूल जाऊ उन वादों को जो हम ने साथ मिल कर एक दूसरे से किए थे?
क्या उन वादों का टूटना ही लिखा था?

ये कुछ खयाल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में।
कुछ खयाल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में।

©Ankit Sinha #kuch_sawal_or_kuch_khayal_dono_hai_mare_man_me 
#lookingforhope
कुछ ख्याल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में,
ख्याल ये है की भूल जाऊ सब कुछ, और चल परू भीड़ में तहना।
पर सवाल ये है, क्या तहना चल पाऊंगा मै इस भीड़ में?

ख्याल ये है की रहने देते है ना यार, बहुत हुआ कसी की यादों में जीना।
पर सवाल ये है, क्या बिना कसी के यादों के साथ भी जिया जा सकता है?

ख्याल ये है की लोग तो आते- जाते रहते है जिंदगी में, कुछ साथ रह जाते है और कुछ साथ छोड़ जाते है।
पर सवाल ये है, जो लोग साथ छोड़ जाते है, क्या उनकी यादों में मै हूं?

ख्याल ये है की उन तस्वीरों को भी मिटा दू जिंदगी से, जिन्हें देख कर मुझे फिर से कसी की यादों में डूबना परे।
पर सवाल ये है, क्या उन तस्वीरों में कुछ भी सच्चाई नहीं थी, जो मिटा दू उसे?

ख्याल ये है की तनहा इस सफ़र में, फीर कहीं कसी से मुलाक़ात होगी....फिर बना लेंगे यादों का कारवां....फिर सज़ा लेंगे जिंदगी को पहले की तरह।
पर सवाल ये है, जिन यादों को मैंने तब बनाया था, जिसे देख कर घंटो खुश हुआ करता था मन ही मन में, जिनके बस सोचने से आंखो में अजीब सी चमक और होठों पर मुसकुराहट सी आ जती थी, कैसे छोड़ दू उन यादों को?

कैसे मिटा दू उन तस्वीरों को जो कहीं न कहीं दिल के एक कोने में कुछ अच्छी यादों वाली साइड पर है?
जिन्हें बनाने में उसने भी तो उतना ही साथ दिया था, जितना कि मैंने।

कैसे भूल जाऊ उन वादों को जो हम ने साथ मिल कर एक दूसरे से किए थे?
क्या उन वादों का टूटना ही लिखा था?

ये कुछ खयाल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में।
कुछ खयाल और कुछ सवाल दोनों है मरे मन में।

©Ankit Sinha #kuch_sawal_or_kuch_khayal_dono_hai_mare_man_me 
#lookingforhope
ankitsinha9117

Ankit Sinha

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