#रेस जीवन की.. ये वक़्त मुझ पर कुछ ऐसा आया दोस्तों के आगे सफर था और पीछे मेरे कुछ अपने और हमसफर था मैं अगर रूक भी जाता तो सफर छूट जाता और चल पड़ता तो हमसफर छूट जाता मंजिल की भी हसरत थी मुझे और उनसे भी मोहब्बत थी ए दिल तू ही बता उस वक्त मैं जाता तो कहाँ जाता मुद्दत का सफर भी था और बरसों के कुछ अपने थे और इक हमसफर भी था मैं अगर रूकता तो ये सब बिछड़ जाते और चलते तो बिखर जाते यूँ समँझ लो दोस्तों के मुझे प्यास तो लगी थी गजब की मगर पानी में ही जहर था मैं पानी पीता तो मर जाता और ना पीता तो भी मर जाता बस यहीं दो मसले आजतक की इस भागदौड़भरी जिंदगी में ना हल हुए ना नींद पूरी हुई और ना ख्वाब मुकम्मल हुए वक़्त ने कहा,काश..तुझे थोड़ा और सब्र होता और सब्र ने कहा,काश..थोड़ा और वक़्त होता मुझे शिकायते तो बहुत हैं तुझसे ऐ जिन्दगी पर चुप इसलिए हुँ कि ज्यों दिया तूने मुझे वो भी बहुतों को नसीब नहीं होता अजीब सौदागर हैं ये वक़्त भी जवानी का लालच दे के बचपन ले गया अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा लौट आता हूँ घर की तरफ हर रोज़ थका-हारा तो आज तक मैं समझ ना पाया के मैं जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल बडे़ हो कर क्या बनना हैं उसका मुझे जवाब अब मिला हैं के फिर से बच्चा बनना है और फिर इक बार खुल के जीना हैं दोस्तों से बिछड़कर इक हकीकत खुली बेशक कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी ये ज़िन्दगी का अजीब रंगमंच है दोस्तों यहाँ हर किसी को दुसरों से बेहतर जीने का नाटक करना ही पड़ता हैं दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे हैं की मंगल ग्रह पर जीवन हैं या नहीं पर कोई भी आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि खुद के जीवन में मंगल हैं या नहीं @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #रेस