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रूठ कर बैठे हैं , वो इस क़दर हमसे, कि एक बार म

 रूठ  कर  बैठे   हैं , वो इस क़दर हमसे,
कि एक बार मेरा नाम लेके पुकारा नही,

कशिश कुछ तो आज भी,मेरे इश्क़ में होगी,
मैने  दिल   ये   किसी और पर,हारा  ही नही,

इस दिल का आलम ऐसा है ,जीते हैं न मरते हैं,
उनके सिवा किसी और को ,कभी निहारा नही,

तन्हाइयों   को   दर्द   का , साथी बनाया हमने,
क्या  करे   कोई     और    जब ,  सहारा  नही,

मेरी   जान  ही  ना  लेले कहीं , उनका रूठना,
उनके बग़ैर ज़िन्दगी का ,1 पल भी गुज़ारा नही,

ये   दिल   बड़ा नादान   है ,समझाए  न समझे,
ये इश्क़ समन्दर है ,पर इसका कोई किनारा नही ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #दिलकाआलम