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सारी मिट्टी लहू से सनी पड़ी है। हवाओं में नमी भरी प

सारी मिट्टी लहू से सनी पड़ी है।
हवाओं में नमी भरी पड़ी है।
मौत का मंजर चारों तरफ है।
घर घर में मय्यातें रखी पड़ी हैं

क्यों ये ज़ुल्म मासूमों पर हो रहा
क्यों ये सितम मज़लूमो पे हो रहा
सियासत के सारे सिपाही खामोश खड़े हैं
इंसानियत फर्श पर औंधे मुँह गिर पड़ा
सारी क़ायनात इस कोहराम से ग़मज़दा है
क़ायनात को इस ग़म से बचा लाते है
आओ मिलकर बेकसूरों को बचा लाते है

नन्हे फरिश्तों को जो हलाक कर रहा
सब कुछ जला कर ख़ाक कर रहा
कोई खुद को खुदा समझ कर
देखो सब कुछ राख कर रहा
उस राख में गुलों को फिर खिला आते हैं
आओ मिलकर बेकसूरों को बचा लाते है
 #syria_ka_dard 
#bekasuron_ko_bacha_latein_hain

सारी मिट्टी लहू से सनी पड़ी है।
हवाओं में नमी भरी पड़ी है।
मौत का मंजर चारों तरफ है।
घर घर में मय्यातें रखी पड़ी हैं
सारी मिट्टी लहू से सनी पड़ी है।
हवाओं में नमी भरी पड़ी है।
मौत का मंजर चारों तरफ है।
घर घर में मय्यातें रखी पड़ी हैं

क्यों ये ज़ुल्म मासूमों पर हो रहा
क्यों ये सितम मज़लूमो पे हो रहा
सियासत के सारे सिपाही खामोश खड़े हैं
इंसानियत फर्श पर औंधे मुँह गिर पड़ा
सारी क़ायनात इस कोहराम से ग़मज़दा है
क़ायनात को इस ग़म से बचा लाते है
आओ मिलकर बेकसूरों को बचा लाते है

नन्हे फरिश्तों को जो हलाक कर रहा
सब कुछ जला कर ख़ाक कर रहा
कोई खुद को खुदा समझ कर
देखो सब कुछ राख कर रहा
उस राख में गुलों को फिर खिला आते हैं
आओ मिलकर बेकसूरों को बचा लाते है
 #syria_ka_dard 
#bekasuron_ko_bacha_latein_hain

सारी मिट्टी लहू से सनी पड़ी है।
हवाओं में नमी भरी पड़ी है।
मौत का मंजर चारों तरफ है।
घर घर में मय्यातें रखी पड़ी हैं