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#OpenPoetry मेरी डायरी तुम्हारी आँखों की तरह खुल

#OpenPoetry मेरी डायरी 
तुम्हारी आँखों की तरह
 खुलती हैं

कोर से कोर तक
कवर से कवर तक 
डायरी के भीतर बैठकर 
मैं  लिखता रहा

और तुम कहती रहीं
मेरी आँखों के पन्ने 
रह-रहकर फड़फड़ाते हैं...
#OpenPoetry मेरी डायरी 
तुम्हारी आँखों की तरह
 खुलती हैं

कोर से कोर तक
कवर से कवर तक 
डायरी के भीतर बैठकर 
मैं  लिखता रहा

और तुम कहती रहीं
मेरी आँखों के पन्ने 
रह-रहकर फड़फड़ाते हैं...