"नजरअंदाज " कितना अजीब शब्द है ना ये जब आप किसी अपने को करो कुछ महसूस नहीं होता ओर जब कोई अपना आपको करे तो जान निकल जाती है बिल्कुल ऐसा दो पैमानों वाला शब्द सास बहू के रिश्ते की तरह अपनी बहू के लिए जो सही लगता है अपनी बेटी के लिए वही गलत लगने लगता है न जाने क्यों लोग भूल जाते है समय कभी एक जैसा नहीं रहता आज तुम किसी को नजरअंदाज कर रहे हो कल कोई तुम्हे करेगा शायद तब बहुत तकलीफ़ हो नजरअंदाज