बरबादियों का शोक मनाना फिजूल है बरबादियों का जश्न मनाते हुए चलो। हर फिक्र को धुंए सा उड़ाते हुए चलो। आंसू की इस जहां में कोई कद्र न बची जो आसूं दे उन्हें भी रुलाते हुए चलो, हर फिक्र को धुंए सा उड़ाते हुए चलो। माना कि हमको लोग बोलेंगे मतलबी जैसे को तैसा रीत निभाते हुए चलो, हर फिक्र को धुएं सा उड़ाते हुए चलो। #मतलबी#दुनिया#धोखा